किसानों से अवैध वसूली और डोडा चूरा मामलों में सीबीएन (केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो) की साख पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। राजस्थान सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उज्जैन में पदस्थ इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह जाट को उसके खास दलाल जगदीश मेनारिया के साथ गिरफ्तार कर लिया है।
यह कार्रवाई छोटी सादड़ी के किसान मांगीलाल गुर्जर की शिकायत पर की गई, जिसमें आरोप था कि 400 किलोग्राम अवैध डोडा चूरा के नाम पर एक करोड़ रुपए की डिमांड की गई और 44 लाख रुपए तीन किस्तों में वसूले गए।
सीबीआई की पूछताछ में खुल रहे दलाली के नेटवर्क
सीबीआई की पूछताछ में अब इस पूरे वसूली तंत्र की परतें खुलने लगी हैं। सूत्रों के हवाले जानकारी आ रही है की जगदीश मेनारिया के बाद अब एक और नाम तेजी से उभरा है अखिलेश, जो 'पुष्प मोबाइल' दुकान का संचालक है। सूत्रों की मानें तो अखिलेश मोबाइल की दुकान की आड़ में सीबीएन इंस्पेक्टर के लिए दलाली का काम करता था। उसके अवैध पैसो को जमीनों में खफाने का काम किया गया। घूसखोर सीबीएन इंस्पेक्टर के कई राज इस अखिलेश के पास छुपे है। जैसे ही अखिलेश की गिरफ्तारी होती है तो यह तोते की तरह पूरी कहानी उगल देगा।
मोबाइल की दुकान या घूस की चौकी?
ऐसा बता रहे है की अखिलेश के जरिए ही वसूली की मोटी रकम का लेन-देन होता था। वह अवैध वसूली की रकम को ठिकाने लगाने और आगे पहुंचाने का काम करता था। इतना ही नहीं, इसी दुकान से एप्पल और महंगे वीआईपी फोन भी अधिकारियों को ‘गिफ्ट’ किए गए, ताकि ‘खामोशी’ खरीदी जा सके। सीबीआई अब अखिलेश और महेंद्र सिंह के कॉल डिटेल, बैंक ट्रांजैक्शन और मोबाइल डेटा खंगाल रही है, जिससे और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
तीन शहरों में संपत्तियों की पड़ताल शुरू
महेंद्र जाट के खिलाफ भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी नजर आ रही हैं। उसके पास नीमच, सीकर और जयपुर में खरीदी गई संदिग्ध संपत्तियों की जानकारी सामने आई है। साथ ही उसके करीबी दलालों के पास भी करोड़ों की चल-अचल संपत्तियां बताई जा रही हैं। सीबीआई ने इन सभी बिंदुओं पर गंभीर जांच शुरू कर दी है।
क्या CBN की दलाली पर लगेगा ब्रेक या चलता रहेगा 'तोड़-बट्टा' का खेल?
नीमच-मंदसौर क्षेत्र में किसानों के नाम पर वर्षों से चल रही वसूली, पकड़-छोड़ और सौदेबाजी की व्यवस्था एक बार फिर बेनकाब हुई है। इस मामले ने यह भी साफ कर दिया है कि कुछ अधिकारियों और दलालों का गठजोड़ कितना संगठित और मुनाफेदार बन चुका है। अब देखना यह होगा कि सीबीआई की कार्रवाई कहां तक पहुंचती है — क्या सिर्फ ‘मोहरा’ पकड़ा गया है या पूरा ‘मकड़जाल’?