नीमच के चैनपुरा स्थित ओसवाल एथेनॉल फैक्ट्री में ड्यूटी के दौरान करंट लगने से 21 वर्षीय मजदूर अमित उर्फ दीपक यादव की मौत के 9 दिन बीतने के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस जांच अब तक अधूरी है, जबकि मृतक के परिजन न्याय की आस लगाए बैठे हैं।
मजदूर बिहार से रोजगार के लिए नीमच आया था और ठेकेदार पन्नालाल यादव के माध्यम से फैक्ट्री में काम कर रहा था। 24 जून को काम के दौरान करंट लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। घटना के बाद न तो फैक्ट्री संचालक अनिल नाहटा और न ही ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकी है।
सुरक्षा मानकों की खुली पोल
फैक्ट्री में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। न तो सेफ्टी किट दी गई और न ही करंट से बचाव के उपाय। औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के निरीक्षक हिमांशु सोलोमन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। उनका कहना है कि यदि सुरक्षा नियमों की अनदेखी हुई है तो जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक दबाव में कार्रवाई ठप?
स्थानीय सूत्रों की मानें तो फैक्ट्री संचालक की राजनीतिक पकड़ मजबूत है, इसी वजह से पुलिस प्रशासन अब तक जांच को गंभीरता से नहीं ले रहा है। यही कारण है कि घटना के 9 दिन बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है।
मजदूर को मिलेगा न्याय या फिर होगा शोषण का शिकार?
मजदूर की मौत एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या मजदूर की जान की कोई कीमत नहीं? क्या फैक्ट्री प्रबंधन के रसूख के आगे कानून भी बेबस है? यह वक्त है जब मजदूर हितों की बात करने वाले संगठनों को आगे आना चाहिए और इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़नी चाहिए।
अब निगाहें औद्योगिक स्वास्थ्य विभाग की निष्पक्ष जांच पर टिकी हैं — क्या होगा सच सामने?