सिंगोली (मुकेश माहेश्वरी) नवरात्रि के पावन पर्व पर चल रही 9 दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा में दूसरे दिन भक्तों की बड़ी संख्या उमड़ी। श्रीधाम वृन्दावन के प्रसिद्ध कथावाचक पं. गोपी जी शास्त्री ने अपने मुखारविंद से दिव्य कथा का रसपान कराया।
दूसरे दिन की कथा में आस्तिक और सर्प यज्ञ की संपत्ति का वर्णन हुआ। कथा अनुसार, ऋषि आस्तिक जन्मेजय द्वारा किए जा रहे सर्प यज्ञ को रोकने पहुंचे। पूर्व में दिए गए वचन के कारण जन्मेजय को यज्ञ रोकना पड़ा और आस्तिक को यज्ञ की संपत्ति दान करनी पड़ी। यह प्रसंग वचनबद्धता और धर्म की विजय का प्रेरणादायक उदाहरण है।
इसके साथ ही राजा देवव्रत और सत्यवती का प्रसंग भी सुनाया गया। देवव्रत द्वारा सत्यवती को दिया गया वचन, उनके महान चरित्र और भविष्य की नींव को दर्शाता है। कथा ने उपस्थित श्रोताओं को नैतिकता, वचन की महत्ता और त्याग का संदेश दिया।
आज की कथा में स्थानीय महिला-पुरुषों सहित आसपास के गाँवों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए और माता रानी के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।