नीमच के बघाना क्षेत्र के चैनपुरा स्थित ओसवाल फैक्ट्री में 24 जून की रात करंट लगने से हुई 21 वर्षीय मजदूर की मौत के बाद पूरे सप्ताह बीत गया, लेकिन जिम्मेदारों पर कार्रवाई तो दूर, पुलिस अब तक "जांच जारी है" की रट से बाहर नहीं आई है। मजदूर की जान गई, मगर जवाबदेही तय नहीं हो सकी।
मृतक अमित उर्फ दीपक यादव, बिहार के रहने वाले थे। वे रोज़ी-रोटी की तलाश में नीमच आए थे और एसपी इंटरप्राइजेज के ठेकेदार पन्नालाल यादव के माध्यम से ओसवाल फैक्ट्री में काम कर रहे थे। फैक्ट्री का संचालन अनिल नाहटा द्वारा किया जा रहा है। घटना के समय दीपक अपनी ड्यूटी पर था, तभी अचानक करंट लगने से उसकी मौत हो गई।
घटना के बाद सबसे पहले ठेकेदार ने फैक्ट्री का नाम तक छुपा लिया। लेकिन जब मीडिया ने सवाल किए, तब जाकर ओसवाल फैक्ट्री और मालिक का नाम सामने आया। इसके बाद पुलिस ने जांच का आश्वासन दिया था, मगर एक सप्ताह बीतने के बाद भी न कोई गिरफ्तारी हुई, न कोई एफआईआर दर्ज हुई।
बघाना थाने के प्रधान आरक्षक मोनवीर सिंह का अब भी यही कहना है – "जांच जारी है।"
लेकिन सवाल यह है कि इतनी गंभीर घटना के बाद भी जांच की रफ्तार इतनी सुस्त क्यों है? क्या पुलिस पर किसी तरह का दबाव है? या दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है?
इस घटना ने एक बार फिर फैक्ट्रियों में श्रमिक सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। बिना जरूरी सुरक्षा उपकरणों और निगरानी के मजदूरों से जोखिम भरा काम कराया जा रहा है, जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।
प्रदेश सरकार एक ओर जहां मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं उन दावों की सच्चाई उजागर कर रही हैं। अब देखना यह है कि क्या नीमच पुलिस निष्पक्ष जांच कर फैक्ट्री मालिक और ठेकेदार को कटघरे में खड़ा करेगी, या यह मामला भी सरकारी फाइलों में खो जाएगा।