सिंगोली - मुकेश माहेश्वरी
December 13, 2025, 9:42 pm
Crime
प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय के न्यायालय में लंबित एक भरण-पोषण प्रकरण का राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से सफलतापूर्वक निराकरण किया गया। प्रकरण सीता बनाम अजय (परिवर्तित नाम) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत भरण-पोषण की वसूली से संबंधित था, जो वर्ष 2024 से न्यायालय में लंबित चला आ रहा था।
उक्त प्रकरण के साथ-साथ पति-पत्नी के मध्य भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के अंतर्गत दहेज उत्पीड़न का एक अन्य आपराधिक प्रकरण भी लंबित था, जिसके कारण दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से तनाव एवं वैवाहिक विवाद बना हुआ था।
राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर प्रकरण को सुलह-समझौते हेतु प्रस्तुत किया गया, जहाँ खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय डाॅ. श्री कुलदीप जैन, खण्डपीठ सदस्य श्री बालकृष्ण सौलंकी एवं अधिवक्ता श्री यशवंत चतुर्वेदी व सुश्री रूचि वर्मा के सतत् प्रयासों एवं सकारात्मक मध्यस्थता से दोनों पक्षों के मध्य संवाद स्थापित हो सका। आपसी सहमति एवं समझदारी के आधार पर पति-पत्नी ने अपने विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने पर सहमति व्यक्त की।
परिणामस्वरूप, भरण-पोषण वसूली से संबंधित प्रकरण सहित अन्य लंबित विवादों का राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से अंतिम रूप से निराकरण किया गया। इस सुलह से न केवल दोनों पक्षों को शीघ्र एवं न्यायपूर्ण राहत प्राप्त हुई, बल्कि न्यायालय का समय भी बचा और पक्षकारों को अनावश्यक लंबी न्यायिक प्रक्रिया से मुक्ति मिली।
उपरोक्त दोनों प्रकरणों में खण्डपीठ के मार्गदर्शन एवं सभी संबंधित पक्षों के प्रयासों के फलस्वरूप प्रकरण का राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से सौहार्दपूर्ण समझौते के आधार पर अंतिम रूप से निराकरण किया गया। इस निराकरण से पक्षकारों को लंबे समय से लंबित न्यायिक विवाद से राहत प्राप्त हुई तथा न्यायालय का बहुमूल्य समय भी संरक्षित हुआ।