नीमच-मानव इतिहास की प्रगति के लिए जल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण संपूर्ण भारत में कई जगह जल संकट गहराता जा रहा है जल संकट के चलते मानव स्वास्थ्य व समस्त कल्याण पर इसका नाकारात्मक प्रभाव पड़ता जा रहा है समस्त देश में पहले से ही लगभग 65 से 76 पर्सेंट लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। पानी का कई प्रतिशत भूजल खेती व सिंचाई के उपयोग में लिया जाता है एवं कुछ प्रतिशत उद्योगों व फैक्ट्रियों में उपयोग किया जाता है, उसके बाद कुछ ही प्रतिशत भूजल यानी लगभग 8 से 10 प्रतिशत देश में पेयजल पीने के लिए उपयोग में लिया या जाता है।
जल संरक्षण की परंपरागत पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो देश में जल आपूर्ति की मांग जरूरत से दोगुनी हो जाएगी भूजल संरक्षण रोकने के लिए देश के समस्त प्रदेश,जिले, शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित छोटी बड़ी नदियों,तालाबों की साफ सफाई कर जलकुंभियों को निकाला जाकर बारिश व नदियों के पानी के संरक्षण को रोक जाकर देश की समस्त जनता व जीव - जंतुओं के लिए जल आपूर्ति को रोका जा सकता है।
जल से ही जीवन है इसलिए देश के समस्त इलाकों में निवासरत सर्व समाज के लोगों को जल संरक्षण के लिए समाज के सभी लोगों को जागरूक बना जागरूकता लाने के लिए प्रेरित किया जाना होगा। जिसके लिए देश के हर हिस्से में एक ऐसे सेमिनार का आयोजन कराना जरूरी है। जिसमें सेमिनार के माध्यम से पानी बचाने व जल संरक्षण के लिए हम सभी को जल की महत्वता की जानकारी से रूबरू करा सके इसलिए जहां जल है वहां जीवन है को आगे बढ़ते हुए जल संरक्षण के लिए जन-जन को आगे आना होगा ओर और जन-जन को आगे लाना होगा और जल संरक्षण को रोकने का प्रयास करना होंगा तथा पानी की महत्वता को ध्यान मैं रखते हुए जल संरक्षण के लिए बंद पड़े कुऔ,नलो से बहने वाले व्यर्थ पानी को रोकने व छोटी बड़ी नदियों की सफाई पर ध्यान दिया जाकर नदियों के विकास का मार्ग खोलकर जल संरक्षण का बचाव कर देश में आने वाले जल संकट से निजात पाकर जल संरक्षण का बचाव किया जा सकेगा। इसलिए अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर जल की महत्वता को ध्यान में रखते हो जल को बचाने का प्रयास कर जल को व्यर्थ ना बहने दे क्योंकि जल है तो कल है और जल ही जीवन है।