मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अंधविश्वास अभी भी जारी है. यहां के ग्रामीण इलाके में डेढ़ महीने के मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया. बच्चे के कुछ घाव तो भर गए हैं, लेकिन कुछ अभी भी बाकी हैं. मामला सामने आने के बाद जिला मुख्यालय में हड़कंप मच गया है. इस घटना का एक पहलू यह भी है कि परिजन उसे निमोनिया होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे. लेकिन, डॉक्टर नहीं मिलने पर उन्होंने अंधविश्वासी परंपरा से ही बच्चे का इलाज करने का फैसला किया. बच्चे की हालत फिलहाल खतरे से बाहर बताई जा रही है. अभी इस मामले की शिकायत पुलिस में नहीं की गई है.
बताया जाता है कि बताया कि हरदी निवासी प्रेमलाल बैगा के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया हो गया था. उसकी बिगड़ती हालत देख परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे, लेकिन उन्हें वहां कोई सुविधा न होने पर समुचित इलाज भी नहीं मिल सका. इसके बाद परिजनों ने किसी हकीम को घर बुलाकर उसका इलाज कराया. इधर, इस मामले में मासूम प्रदीप के पिता प्रेमलाल बैगा ने बताया कि मैं घर में नहीं था. मेरी गैरमौजूदगी में घर के बुजुर्गों ने बेटे को अगरबत्ती से दगवा दिया. उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. उसे देख घरवाले घबरा गए.