नीमच जिले के जावद विधानसभा में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के क्षेत्र में वर्ष 2022 में उजागर हुए आठ लाख के घोटाले के मामले में तहसील कार्यालय में पदस्थ नाजिर अमर सिंह राठौर के खिलाफ तो एफआईआर दर्ज की गई लेकिन शासन की राशि के गबन के मामले में साइन और सत्यापन करने वाले तत्कालीन तहसीलदार पर तत्कालीन कलेक्टर साहब मेहरबान दिखाई दिए और दोषी तहसीलदार को बचाने का खेल खेला गया।
दिसंबर 2022 में शासन की राशि के गबन के मामले में शिकायतकर्ता ने प्रमुख सचिव सहित कलेक्टर को लिखित में शिकायत करते हुए तत्कालीन तहसीलदार विवेक गुप्ता पर शासन की राशि के मामले में गबन के आरोप लगाए और नाजिर के साथ-साथ तहसीलदार को भी घोटाले के मामले में निलंबित करते हुए आरोपी बनाने की मांग की गई। शिकायत के बाद प्रमुख सचिव सहित कमिश्नर ने नीमच कलेक्टर को शिकायत पर जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद जावद एसडीएम शिवानी गर्ग ने पूरे मामले की जांच की और शिकायत शाखा सेक्षसूचना के अधिकार के तहत जांच प्रतिवेदन शिकायतकर्ता को जो मिला उसमें एक बात तो स्पष्ट हो गई कि जावद तहसील शाखा में पदस्थ नाजिर अमर सिंह राठौर को आरोपी बनाया गया, उस मामले में तत्कालीन तहसीलदार ने डीडीओ अधिकारी होने के साथ ही हस्ताक्षर व सत्यापन उनके द्वारा किया गया था वह भी इस मामले में दोषी हैं।
शिकायतकर्ता द्वारा प्रमुख सचिव सहित कलेक्टर को लिखित में शिकायत दी गई, जिसके बाद भी 4 माह से अधिक का समय बीत चुका है। घोटाले के मामले में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले और सत्यापन करने वाले तत्कालीन तहसीलदार की भूमिका भी समान रूप से दोषी पाई गई लेकिन तत्कालीन कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने तहसीलदार विवेक गुप्ता को बचाने का खेल खेला।
खैर अब देखना यह होगा कि नवागत कलेक्टर दिनेश जैन के हाथ में जिले की कमान है ऐसे में शिकायत की जांच प्रतिवेदन में तो तत्कालीन तहसीलदार दोषी पाए गए, अब उनके खिलाफ क्या कमिश्नर को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा और ऐसे दोषी घोटालेबाज तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई होगी या फिर मामले में घोटालेबाज तहसीलदार को मंत्री के क्षेत्र में संरक्षण मिलता रहेगा।