मंदसौर–नीमच जिले में सहकारिता विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जावद क्षेत्र की लासुर एवं धामनिया सहकारी सोसायटी में एक ही प्रबंधक का सालो से लगातार पदस्थ रहना विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
जानकारी के अनुसार लासुर धामनिया सहकारी सोसायटी में प्रबंधक धनराज राठौड़ लगभग 20 वर्षों से पदस्थ रहे, वहीं पास की धामनिया सहकारी सोसायटी का अतिरिक्त प्रभार भी लंबे समय तक उन्हीं के पास रहा। किसानों और हितग्राहियों का आरोप है कि लंबे समय से एक ही क्षेत्र में जमे रहने के कारण व्यवस्था में मनमानी बढ़ी और अवैध वसूली जैसी शिकायतें सामने आईं।
शिकायतें बढ़ीं, लेकिन कार्रवाई ठंडी
किसानों द्वारा कई बार विभागीय अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और उच्च स्तर तक शिकायतें की गईं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में तो संबंधित प्रबंधक को नीमच जिले से बाहर स्थानांतरित करने के आदेश भी जारी हुए, लेकिन बताया जा रहा है कि वह आदेश कभी ज़मीन पर उतर ही नहीं सका। विभागीय स्तर पर हुई ‘सेटिंग’ के चलते ट्रांसफर निरस्त कर दिया गया।
निलंबन के बाद भी बहाली
हाल ही में अक्टूबर माह में कार्य में लापरवाही के चलते प्रबंधक को निलंबित किया गया था, जिससे किसानों को कुछ राहत की उम्मीद जगी। लेकिन यह उम्मीद भी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी। निलंबन के कुछ समय बाद ही उन्हें बहाल कर दिया गया और हैरानी की बात यह रही कि जिले से बाहर भेजने के बजाय उन्हें धामनिया सहकारी सोसायटी में मुख्य प्रबंधक की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
सांसद का पत्र भी रहा बेअसर
करीब छह माह पूर्व एक चौकीदार द्वारा 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई थी, जिस पर राज्यसभा सांसद बंशीलाल गुर्जर ने जिला सहकारिता प्रशासन को पत्र लिखकर वर्षों से जमे प्रबंधक को जिले से बाहर स्थानांतरित करने की अनुशंसा की थी। लेकिन उस पत्र पर भी कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई।
किसानों में नाराज़गी, जवाब की दरकार
पूरे मामले को लेकर क्षेत्र के किसानों में गहरी नाराज़गी है। उनका कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं होना विभागीय संरक्षण की ओर इशारा करता है। सहकारिता विभाग के ऐसे रवैये से आम किसानों का भरोसा डगमगा रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शासन और जनप्रतिनिधि इस मामले में निष्पक्ष जांच कराएंगे या फिर वर्षों से जमे अधिकारियों का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।
इनका कहना
“पदस्थापना हमारी विभागीय व्यवस्था के तहत की जाती है, हम अपने स्तर पर निर्णय लेते हैं।” — सुनील कच्छारा, एमडी, जिला सहकारिता मंदसौर।