नीमच जिले के मनासा विधानसभा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। जिला पंचायत वार्ड 8 में भाजपा से कांग्रेस में गए उम्मीदवार ने विजय का परचम लहराया और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा।
सांसद विधायक और जिलाध्यक्ष उत्तरे थे मैदान में
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तृतीय चरण में मनासा जिला पंचायत वार्ड 8 में चुनाव बड़ा ही रोमांचक हो चुका था। सभी की निगाहे इस वार्ड के चुनाव परिणाम पर टिकी थी। सांसद विधायक और जिलाध्यक्ष चुनावी मैदान में उतर कर तस्करी के आरोपी व पूर्व जिला पंचायत सदस्य दिनेश परिहार की पत्नी के समर्थन में जनता के बीच जाकर चुनाव प्रचार प्रसार कर रहे थे और जीत का दावा किया जा रहा था। लेकिन जनता के बीच उम्मीदवार को लेकर नाराजगी इतनी थी कि जनता ने इस उम्मीदवार को सबक सिखाते हुए करारी हार का सामना करवाया।
गांव गांव विरोध के वीडियो, फिर भी जीत का दावा
चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्र की जनता में किस प्रकार विरोध था इसको लेकर प्रदेश हलचल ने लगातार ग्रामीणों के विरोध की तस्वीरें समाचार में दिखाई थी और सांसद विधायक से सवाल भी किए थे। लेकिन सभी का दावा था कि भारतीय जनता पार्टी विजय का परचम लहराएगी और दिनेश परिहार का कार्यकाल बेहतर रहा जिसके चलते जनता उन्हें मौका देगी। और कांग्रेस उम्मीदवार को 1300 वोट भी नहीं मिलेंगे।
भाजपा से नहीं उम्मीदवार से थी जनता की नाराजगी
मनासा विधानसभा के जिला पंचायत वार्ड नंबर 8 के अंतर्गत जनता से चर्चा की तो जनता का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी से नाराजगी नहीं बल्कि उम्मीदवार से नाराजगी है। क्योंकि 8 सालों में जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद दिनेश परिहार ने कभी उनके बीच जाकर उनकी सुध नहीं ली और नहीं गांव में कोई विकास कार्य हुए। जिसके परिणाम है कि भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्र में जनता ने ऐसे नकारा उम्मीदवार को सबक सिखाते हुए कांग्रेस उम्मीदवार को अपनी पसंद बनाया।
आखिर क्या थी मजबूरी, विरोध के बावजूद मिला टिकट
क्षेत्र में जोरों पर चर्चा है कि भाजपा जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार ने अपनी दोस्ती निभाने के चक्कर में तस्करी के आरोपी दिनेश परिहार की पत्नी को भारतीय जनता पार्टी से अधिकृत उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में दोबारा मौका दिया। जबकि जनता से लगाकर भाजपा कार्यकर्ताओं में भी दिनेश परिहार के कार्यकाल को लेकर खासी नाराजगी देखी जा रही थी। अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी में जिताऊ उम्मीदवार और साफ-सुथरी छवि का उम्मीदवार देखा जाता है लेकिन आखिर भाजपा जिलाध्यक्ष की ऐसी क्या मजबूरी थी कि तस्करी के आरोपी और जनता के बीच विरोध के चेहरे को पार्टी से अधिकृत कर चुनावी मैदान में उतारा गया, जिसके चलते हैं भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
सुरेश धनगर बने चेहरा, जीत का परचम लहराया
क्षेत्र में चर्चा है कि कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी सुरेश धनगर का क्षेत्र में दबदबा होने के कारण येन केन प्रकार से फॉर्म निरस्त किया गया। जिसके बाद धापू बाई श्यामलाल वसीटा ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा और चुनावी मैदान में उतरे। इस दौरान उम्मीदवार जरूर धापू बाई श्याम वसीटा थे लेकिन चेहरा सुरेश धनगर का दिखाई दिया। जिसके चलते जनता ने कांग्रेस उम्मीदवार को ऐतिहासिक विजय दिलाई।