नीमच के शासकीय आईटीआई कॉलेज में बिना टेंडर लाखों की लागत के 220 कंप्यूटर का सेटअप लगाने के मामले में मामला अब उज्जैन जेडी तक जा पहुंचा और पूरे मामले में उज्जैन जेडी ने तत्काल प्रभाव से संबंधित जिम्मेदारों को पत्र जारी करते हुए नियम अनुसार विज्ञप्ति निकालकर प्रक्रिया पूरी करने और संस्था को ज्यादा लाभ अर्जित करने के निर्देश देने की बात कही। इसके बाद अब नियमों को ताक में रखकर धज्जियां उड़ाने वाले अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
दरअसल नीमच जिला मुख्यालय पर ग्राम डूंगलावदा मे स्थित शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में 220 कंप्यूटर का सेटअप लगाकर हाईटेक कम्प्यूटर लैब बना दी है। इसके पीछे विभाग का उद्देश्य यहां आनलाइन परीक्षा आयोजित कर उक्त कंपनी के साथ मिलकर आय सृजन करना है। लाखों की लागत का यह सेटअप बिना टेंडर प्रक्रिया से हुआ है। एक ही व्यक्ति को इसके लिए आफर किस आधार पर दिया है। ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे है। संस्था प्रमुख से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं की है।
गौपनीय सूत्रों से मीडिया को जानकारी मिली थी कि शासकीय आईटीआई में कम्प्यूटर माफियों के साथ मिल नियमों की अनेदखी कर 220 से ज्यादा कम्प्यूटर लगवा दिए है। इसकी पड़ताल करने के लिए कुछ मीडियाकर्मी आईटीआई डूंगलावदा पहुंचे। उन्होंने प्राचार्य कमला चौहान से चर्चा की और फिर उस संस्था मे जिन कमरों में वे कम्प्यूटर लगाए गए थे उनका अवलोकन किया। इस दौरान परिसर में स्थित तीन कक्षों में लगभग 220 कंप्यूटर फर्नीचर व सीसीटीवी कैमरे से लगे थे और एक कमरे को सर्वर रूम बनाया हुआ था। इस तरह यहां करीब 4 कमरों को पूरा सेटअप स्थापित मिला। यह सभी कक्ष अब सिर्फ उसी काम में उपयोग हो सकते है। इस संबंध में प्राचार्य चौहान से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि आईटीआई के मास्टर प्लान एवं बिजनेस प्लान दक्ष के संबंध में कौशल विकास संचालनालय मप्र के अतिरिक्त संचालक द्वारा जारी निर्देश के आधार पर नियमानुसार विभागीय योजना के तहत किया गया है।
आईटीआई बिजनेस प्लान के तहत यह निर्देश आए-
आईटीआई संस्थानों को आय सृजन के लिए विभाग द्वारा 11 सितंबर 2024 को निर्देश के साथ पूरी गाइड लाइन जारी की गई थी। जिसमें 2 प्रमुख श्रेणी के अंतर्गत भूमि, संसाधनों का अधिकतम उपयोग में नई ट्रेड्स का संचालन, इन्फ्रास्ट्रक्चर का उन्नयन, ग्रीन स्पेस एवं सस्टेनेबिलिटी, साझेदारी और सहयोग तथा दूसरी श्रेणी में स्थानीय स्तर पर आय सृजन के अवसर के तहत आन जॉब ट्रेनिंग, लघु उद्योग और सेवा केंद्र, वित्तीय सेवाएं और कंसल्टेंसी, उत्पाद निर्माण और बिक्री व प्रशिक्षण और कार्यशालाएं बिंदुओं में विस्तृत उल्लेख किया है। दोनों श्रेणी में किसी भी बिंदु मे यह नहीं स्पष्ट किया है कि आप वहां निजी कंपनी के सहयोग से ऑनलाइन परीक्षा सेंटर संचालित करे।
सिर्फ 20 प्रतिशत की होगी आय -
आईटीआई का मास्टर प्लान एवं बिजनेस प्लान दक्ष के तहत निर्देशों का हवाला देकर प्रबंधन द्वारा शहर की एकमात्र बिजनेस इंफार्मेशन टेक्नालाजी (प्राइवेट) के प्रस्ताव को लेकर उन्हें वहां आनलाइन परीक्षा सेंटर बनाने के लिए कम्प्यूटर सहित पूरा सेटअप लगाने की लिए जगह देकर अनुमोदन भी कर दिया। जिसे अन्य विभागीय परीक्षा आयोजित करने के लिए बनाया है। विधिवत अनुमति मिली तो और यहां परीक्षा आयोजित होने पर आईटीआई को सिर्फ 20 प्रतिशत आय होगी। बाकी 80 फीसदी तो उक्त निजी कंपनी को मिलेंगे।
हाईटेक कम्प्यूटर लैब तैयार होने के बाद आईटीआई द्वारा 28 नवंबर 2024 को कर्मचारी चयन मंडल भोपाल के संचालक को पत्र लिखकर परीक्षा केंद्र बनाने का प्रस्ताव भी कलेक्टर के माध्यम से भेज दिया है। हालांकि अभी तक केंद्र बनाने की स्वीकृति नहीं मिल सकी है। बताया जा रहा हैं कि केंद्र बनाने को कई मापदंड की जरूरत होती है उसकी बारीकी से पड़ताल की जाए तो यहां कुछ कमियां भी निकल सकती।
उज्जैन जेडी तक पहुंचा मामला, पत्र जारी करने के निर्देश
बिना टेंडर वैसे तो किसी भी सरकारी परिसर आय सृजन के लिए एक साइकिल स्टैंड का ठेका भी देने के लिए टेंडर या निविदा निकाली जाती है। जिसमें नियमानुसार तीन फर्म के टेंडर अनिवार्य होते है। वह भी संबंधित संस्था को सालभर आय देता है। फिर सरकारी आईटीआई में ऐसी कौन सी योजना या नियम लागू हो रहे है जहां बिना किसी टेंंडर के लाखों की सामग्री का सेटअप लगा दिया गया। कहीं न कहीं इसमें नियमों की अनदेखी के साथ बड़ी मिलीभगत की आशंका हो सकती है, इसको लेकर उज्जैन जेडी मदन गोपाल तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया की संस्था को आर्थिक फायदा पहुंचना मुख्य उद्देश्य है लेकिन उसके लिए अगर विधिवत टेंडर प्रक्रिया की जाती तो संस्था को ज्यादा फायदा होता है। इसके लिए पत्र जारी किया जाएगा और विधिवत प्रक्रिया करने के निर्देश दिए जाएंगे।
मिलीभगत की खुलेगी पोल
शासकीय आईटीआई कॉलेज मे कंप्यूटर घोटाला मामला उज्जैन जेडी मदन गोपाल तिवारी के पास पहुचने के बाद अब जिम्मेदारों की पोल खोलती हुई दिखाई दे रही है क्योंकि नीमच मे शासकीय आईटीआई संस्थान डुगलावदा को ज्यादा फायदा पहुंचाने के बजाय किसी एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने का कार्य क्यों किया गया, इसका जबाब भी संबंधित जिम्मेदारों को भारी पड़ सकता है।