मध्यप्रदेश के नीमच जिले की जावद विधानसभा में 2023 के समीकरण अभी से बनते दिखाई दे रहे हैं। भाजपा 3 और कांग्रेस में 2 चेहरे ऐसे हैं जो विधानसभा की दावेदारी करेंगे। इसमें से दोनों ही पार्टी में दो चेहरे ऐसे हैं जो बगावत के तेवर भी दिखा सकते हैं। और चुनावी समीकरण को बिगाड़ते हुए माहौल को बड़ा रोमांचक बना सकते हैं। इस बार चर्चा है की नीमच जिले की भाजपा की राजनीती में तीन विधानसभा में से 2 विधानसभा में भाजपा टिकिट में बदलाव कर सकती है।
नगरीय निकाय 2022 के चुनाव परिणाम ने जहां भाजपा की सरकार मे 4 बार विधायक बने मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा की दावेदारी को और मजबूत बना दिया। वहीं जिला पंचायत के चुनाव परिणाम मे मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के लिए विधानसभा चुनाव में खतरे की घंटी दिखाई दे रही है। चुनावी राह इस बार बड़ी कठिन हो सकती है।
भाजपा समीकरण की चर्चा
अगर बात करें जावद विधानसभा की तो जावद विधानसभा में वैसे तो चार बार विधायक रहे ओमप्रकाश सकलेचा को दोबारा मौका मिलेगा। इस बार विधानसभा में पूरणमल अहीर एक ऐसा नाम है जिन्होंने सकलेचा के क्षेत्र में वार्ड क्रमांक 3 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दमदारी से चुनाव लड़ा और निर्दलीय होने के बावजूद भी भाजपा की प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा। और हर बार की तरह इस बार ओमप्रकाश सकलेचा का जादू नहीं नहीं चला, बल्कि चुनाव में प्रत्याशी जरूर महिला थी लेकिन चेहरा खुद ओमप्रकाश सकलेचा बने हुए थे और लगातार चुनाव प्रचार कर उम्मीदवार को जिताने की हर संभव प्रयास किए जा रहे थे। भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में इस बार भारतीय जनता पार्टी को पूरणमल के नाम पर भी सोचने को मजबूर होना पड़ सकता है।
वही सिंधिया गुट की बात करें तो नीमच जिले की राजनीति में एक टिकट सिंधिया गुट से भी मिलने की संभावना है। और समंदर पटेल ज्योतिराज सिंधिया के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में समंदर पटेल जावद विधानसभा की राजनीति में टिकट पाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
कांग्रेस के समीकरण
जावद विधानसभा की राजनीति में 2 नाम ऐसे हैं जो हर बार जावद विधानसभा में टिकट की लालसा रखते हैं और नहीं मिलने पर बगावत के तेवर भी दिखाई देते हैं। एक नाम कमलनाथ के करीबी राजकुमार अहीर का है तो दूसरा नाम मीनाक्षी नटराजन और कांग्रेस जिलाध्यक्ष अजीत कांठेड़ के खास सत्यनारायण पाटीदार का है। चर्चा है कि अगर एक के नाम पर पार्टी मुहर लगाती है तो दूसरा पार्टी से बगावत करते हुए चुनाव में मैदान में दिखाई देगा। पिछली बार भी विधानसभा चुनाव में सत्यनारायण पाटीदार को टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बगावत की बात कही थी लेकिन फिर उन्हें नीमच से टिकट मिल गया, जिसके चलते बागी उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में नहीं दिखाई दिए। और राजकुमार अहीर तो टिकिट न मिलने पर पहले भी बागी चुनाव लड़ चुके है।
हालांकि कांग्रेस पार्टी में तीसरा कोई दमदार चेहरा दिखाई नहीं दे रहा। जो विधानसभा में प्रबल दावेदारी करते हुए जीत का परचम लहरा सके। दावेदारी में कई नाम जरूर चर्चा में है। लेकिन एक बात तो तय है कांग्रेस पार्टी को सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस के नेताओं से ही होने की संभावना है।
दोनों ही पार्टी मैं बागी की संभावना
जावद विधानसभा की राजनीति में भाजपा हो या फिर कांग्रेस विधानसभा 2023 के समीकरण अभी से स्पष्ट बनते दिखाई दे रहे हैं कि इस बार दोनों ही पार्टी में बागी उम्मीदवार की संभावना दिखाई दे रही है। इस बार चुनावी राह कठिन दिखाई दे रही हैं। हालांकि देखना होगा अगर जो पार्टी नाराजगी खत्म करेगी उसकी चुनावी राह आसान होगी और नहीं कर पाती है तो बड़ा ही रोमांचक चुनाव विधानसभा जावद में दिखाई देगा।